उम्मीद का दीया !
उम्मीद का दीया !
आज मैंने जलाया एक दीया
दीया जलाया एक शुभत्व के नाम
एक दीया देश की प्रगति
एवं खुशहाली के लिए...!
एक दीया जलाया मैंने
अपने आत्मज एवं आत्मजा
के विकास के लिए..!
सुख समृद्धि एवं वैभव का
दीया मैंने दिया अपने
निकेतन को...!
बड़ी क्षिप्रता के साथ
अपने निहित स्वार्थ के लिए
मैंने छुपा कर उम्मीद का
एक दीया जला रखा है
दिल के किसी कोने में
तुमसे मिलने का;
जिसकी लौ सतत्
आहिस्ता -आहिस्ता टिमटिमाती है
तुमसे मिलने की टीस को
जगाती है..!
एक दीया वर्ष दर वर्ष
प्रतिपल जलता रहता है
यद्यपि मुझे ज्ञात है
तुम नहीं आओगे
कभी नहीं आओगे
क्यूँकि....
जाने वाले
कभी लौटकर नहीं आते हैं,
फिर भी...
मैंने उम्मीद का यह दीया
रौशन कर रखा है...।
आज मैंने जलाया एक दीया..!