मुख मोड़ सब चलते बने
मुख मोड़ सब चलते बने
जब काम पड़ा अपनो से ,
मुख मोड़ चले सपनो से ,
अपने स्वार्थ में सब लिप्त हैं ,
इस जग किसी का कोई नही ,
जो प्रेम बढ़ाते हंस हंस कर ,
मतलब है साधे पल पल पर ,
लगते है अपने खास सभी पर,
बिन स्वार्थ यहां पर कोई नही ,
सुख में हरदम जो साथ रहे,
दुख पड़ते ही वो गायब हुए ,
जब काम पड़ा उनसे कोई तब ,
मुख मोड़ सब चलते बने ,!!