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Dinesh Dubey

Tragedy

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Dinesh Dubey

Tragedy

मुख मोड़ सब चलते बने

मुख मोड़ सब चलते बने

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जब काम पड़ा अपनो से ,

मुख मोड़ चले सपनो से ,

अपने स्वार्थ में सब लिप्त हैं ,

इस जग किसी का कोई नही ,


जो प्रेम बढ़ाते हंस हंस कर ,

मतलब है साधे पल पल पर ,

लगते है अपने खास सभी पर,

बिन स्वार्थ यहां पर कोई नही ,


सुख में हरदम जो साथ रहे,

दुख पड़ते ही वो गायब हुए ,

जब काम पड़ा उनसे कोई तब ,

मुख मोड़ सब चलते बने ,!!



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