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Pramesh Deep

Romance

4  

Pramesh Deep

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रिमझिम बारिश

रिमझिम बारिश

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384


रिमझिम बारिश के बीच जब मिले थे अकेले मे I

अरमानो के बादल कितने उमड़ पढ़े थे सीने मे II


चाहत थी तुझको जी भर के आज प्यार करू I

अहसासोे के साथ तुझको अपने बांहो मे भरु II


साथ बिताया हर लम्हा जान से प्यारा था I

साथ गुजरे जिंदगी यही अरमा हमारा था II


बारिश की बुँदे रह-रह कर प्यास बढ़ा रही थी I

पिया मिलन के लिए कब से ललचा रही थी II


वातावरण की शान्ति मन मे तूफान उठा रही थी I

प्रीत की अनबुझे प्यास आग दिल मे जला रही थी II


साथ ना छूटे तेरा बस यही डर सता रहा था I

रह-रह कर मुझे प्यार तेरा याद आ रहा था II


काश यु एक दूजे के बांहो मे बांहे डाले बैठे रहते I

प्यार भरी बातो संग मीठे-मीठे सपनो मे खोये रहते II


सुखदुःख की बातें हम करते, संग-संग आहें भरते I

परवाह नहीं किसी की बस प्यार -प्यार, प्यार करते II


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