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Kunda Shamkuwar

Abstract Romance

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Kunda Shamkuwar

Abstract Romance

इंद्रधनुषी प्रेम

इंद्रधनुषी प्रेम

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प्रेम सिर्फ़ प्रेम होता है.... 

एक सम्पूर्ण प्रेम....

बिना किसी दुविधाओं से....


प्रेम मर्ज़ी से होता है...

सिर्फ़ मर्ज़ी से....

पहली ही नज़र में...


प्रेम कभी लाल पीला हरा होता है भला? 

प्रेम तो इन्द्रधनुषी रंगों वाला होता है... 

मनमोहक और मनभावन रंग... 


ऐसे इंद्रधनुषी प्रेम तो रूमानी दुनिया मे होता है...

हक़ीक़त की दुनिया का प्रेम बेहद अलग होता है.... 

वहाँ प्रेमियों की मर्ज़ी नही होती है....

बल्कि उन्हें हिदायतें होती है...

फ़रमान होते है....

घरवालों के....परिवार के....समाज के....


एक दिन उन प्रेमी जोड़ों को फ़रमान सुनाया जाता है

एक गोत्र में प्रेम नही....

पंचायत में मान्य नही है....

तुम्हारा यह प्रेम ज़ायज़ नही है....

और शादी तो बिल्कुल भी नही....


क्योंकि यह प्रेमी प्रेम में आर-पार करने वालें होते है...

प्रेम की शक्ति से वे लोहा लेने लग जाते है....

घरवालों से.... परिवार से....समाज से....

और भाग जाते हैं बहुत दूर....

किसी अनजान शहर में....

अपनों से दूर.....

अजनबियों की बस्ती में....


लोगों की निगाहों से दूर....

वह अपनी नयी दुनिया बसा लेते हैं....

भई ऑनर भी तो कोई चीज़ होती है ना? 

फिर क्या ?

घर वाले और परिवार वाले मिलकर ढूँढने निकल पड़ते हैं....

मुस्तैदी से वे आख़िरकार उन्हें ढूंढ ही लेते हैं....

और वे प्रेमी जोड़े को मना लेते हैं.....

अहा ! वह मीठी बोली !! 


क्योंकि प्रेमी जोड़े तो प्रेम ही जानते है...

वे क्या जाने दग़ाबाज़ी ?

हक़ीक़त वाला प्रेम रूमानी दुनिया वाले प्रेम पर हावी हो जाता है....

दग़ाबाज़ी में प्रेम लुहलुहान हो जाता है....

हक़ीक़त की दुनिया में प्रेम का इंद्रधनुषी रंग खून के रंग में बदल जाता है....

इंद्रधनुषी प्रेम फिर रूमानी दुनिया में किताबों के पन्नों में फड़फड़ाता रहता है...


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