इंतजार - ए-इश्क
इंतजार - ए-इश्क
हमने अपने हाथों से
लिख कर खत अपने आप को,
अपने टूटते दिल को कई बार ढाढस बँधाया
ता-उम्र गुजर गयी
बस इंतजार - ए-इश्क में
न वो ही आये न ही उनका खत ही आया-
कभी कभी जिंदगी
ऐतबारे इश्क में जी लेते हैं लोग-
दर्द - ए-मोहब्बत के गम
चुपके चुपके से पी लेते हैं लोग-
अपने ख्वाबों को
अपनी आंखों में बसा लेते हैं लोग-
न जाने क्यों
जिंदगी भर का रोग लगा लेते है लोग-
न जाने कितनी बार
उनके ही अक्स को देख,
पलकों की कोरों में आंसुओं को छुपाया-
ता-उम्र गुजर गयी
इंतजार - ए-इश्क में
न वो ही आये न ही उनका खत ही आया-
कैसे करते
इजहार-ए-मोहब्बत उनसे हम,
जाते जाते न पलट कर देखा एक बार भी -
न जाने
किस स्याही ने लिखी किस्मत मेरी,
जीता मरता हूं, इश्क में है नहीं एतबार भी-
कुछ तो थी
कशिश जरूर उन आंखों में,
दिल-ए-नादान था उनके लिये बेकरार भी-
चाहत की
जुस्तजू ऐसी उठी दिल में मेरे,
लाख चाह कर कहां कर सका इनकार भी-
हिसाब करता हूं
जब जिंदगी के लम्हों का
सब कुछ लुटा कर भी न कुछ भी पाया--
ता-उम्र गुजर गयी
इंतजार - ए-इश्क में
न वो ही आये न उनका खत ही आया
इस जहां में
करते ही रहे इंतजार जिंदगी भर
अब उस जहां में मिलने की सोचेंगे-
शायद
सांसारिक बेड़ियों से मुक्त हो खुला अंतरिक्ष,
चांद-सितारों में तुझे खोजेंगे-
तुम्हारे अक्स को हम वहां खोज ही लेंगे
दिल के अहसासों से
तुम्हारी बदन की खुशबू और महकती श्वासों से-
लाख इबादतों के बाद भी
मोहब्बत - ए-उल्फत को न पाया---
ता-उम्र गुजर गयी
इंतजार - ए-इश्क में
न वो ही आये न उनका खत ही आया-
हमने अपने हाथों से
लिख कर ही खत अपने आप को,
अपने टूटते दिल को कई बार ढाढस बँधाया
ता-उम्र गुजर गयी
इंतजार - ए-इश्क में
न वो ही आये न उनका खत ही आया