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Rajeev Rawat

Romance

4  

Rajeev Rawat

Romance

इंतजार - ए-इश्क

इंतजार - ए-इश्क

2 mins
314


हमने अपने हाथों से 

लिख कर खत अपने आप को, 

अपने टूटते दिल को कई बार ढाढस बँधाया

ता-उम्र गुजर गयी 

बस इंतजार - ए-इश्क में

न वो ही आये न ही उनका खत ही आया-


कभी कभी जिंदगी 

ऐतबारे इश्क में जी लेते हैं लोग-

दर्द - ए-मोहब्बत के गम 

चुपके चुपके से पी लेते हैं लोग-

अपने ख्वाबों को

अपनी आंखों में बसा लेते हैं लोग-

न जाने क्यों 

जिंदगी भर का रोग लगा लेते है लोग-


न जाने कितनी बार 

उनके ही अक्स को देख, 

पलकों की कोरों में आंसुओं को छुपाया-

ता-उम्र गुजर गयी 

इंतजार - ए-इश्क में

न वो ही आये न ही उनका खत ही आया-


कैसे करते 

इजहार-ए-मोहब्बत उनसे हम, 

जाते जाते न पलट कर देखा एक बार भी - 

न जाने 

किस स्याही ने लिखी किस्मत मेरी, 

जीता मरता हूं, इश्क में है नहीं एतबार भी-

कुछ तो थी 

कशिश जरूर उन आंखों में, 

दिल-ए-नादान था उनके लिये बेकरार भी-

चाहत की

जुस्तजू ऐसी उठी दिल में मेरे, 

लाख चाह कर कहां कर सका इनकार भी-


हिसाब करता हूं 

जब जिंदगी के लम्हों का

सब कुछ लुटा कर भी न कुछ भी पाया--

ता-उम्र गुजर गयी 

इंतजार - ए-इश्क में

न वो ही आये न उनका खत ही आया


इस जहां में

करते ही रहे इंतजार जिंदगी भर

अब उस जहां में मिलने की सोचेंगे-

शायद

सांसारिक बेड़ियों से मुक्त हो खुला अंतरिक्ष, 

चांद-सितारों में तुझे खोजेंगे-

तुम्हारे अक्स को हम वहां खोज ही लेंगे

दिल के अहसासों से

तुम्हारी बदन की खुशबू और महकती श्वासों से-


लाख इबादतों के बाद भी 

मोहब्बत - ए-उल्फत को न पाया---

ता-उम्र गुजर गयी 

इंतजार - ए-इश्क में

न वो ही आये न उनका खत ही आया-


हमने अपने हाथों से 

लिख कर ही खत अपने आप को, 

अपने टूटते दिल को कई बार ढाढस बँधाया

ता-उम्र गुजर गयी 

इंतजार - ए-इश्क में

न वो ही आये न उनका खत ही आया



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