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Lokanath Rath

Romance Inspirational

4  

Lokanath Rath

Romance Inspirational

कवि सम्मेलन....

कवि सम्मेलन....

2 mins
286



पति ने बड़े प्यार से बोला अपनी पत्नी को,

जाना है कविता पढ़ने उसे आज शाम को।


फिर पत्नी बोली बड़े आदर से मुस्कुराते,

ठीक है, पर हमको तो कभी कभी साथ ले जाते।


हम तो आपके पत्नी है, कभी कभी गुन गुनाते,

कभी हम खुद को या ये चार दीवारों को सुनाते।


हाँ, ये सच है की हम कभी कुछ नहीं लिखते,

पर अपनी दिल की बात तो हम कभी नहीं भूलते।


ये सुनकर पति ने मुस्कुराते बोले, अच्छा तो ये बात,

ठीक है आज हम तुमको लेकर जाएंगे अपने साथ।


तैयार रहना, वहाँ भी अपनी कविता सुनाना,

अपनी दिल की सारे बाते लफ़्ज़ में बोल देना।


वहाँ हम होंगे और सारे अन्य कवि भी होंगे,

हमें अच्छा लगेगा जब सब मेरे पत्नी को सुनेंगे।


अगर ये बात हमें पहले पता होता भाग्यवान,

तो कबसे हम तुम्हें ले चलते सब कवि सम्मेलन।


अब मेरा बात तुम मान लिया करो,

अपनी कविता को लिख लिया करो।


अगर कभी ये मन भूल गया या दिल से छूट जायेगा,

तब ये तुम्हारी लिखी हुई कविता फिर काम तो आएगा।


अरे ये कविता तो अपनी भावनाओं से जुड़ा है,

वही तो है समय समय पर इसे प्रकट करते है।


अगर कभी तुम्हारा मन करें तो हमें भी सुनाया करो,

हम भी तुमसे कुछ सीख लेंगे, छुपाया ना करो।


पत्नी थोड़ी पास आई और धीरे से बोली,

आप ने सही बोल पर में कौन सी पढ़ने लिखने वाली?


ये लिखना पढ़ना तो अब मेरे बस की बात नहीं,

इसीलिए तो मैं आज तक कुछ भी लिखी नहीं।


पत्नी की बात सुनकर पति थोड़ा चौक गया,

तब उसको फिर अपनी शादी से पहले की बात याद आई ।


सोचा अपने मन ही मन, सच में कभी तो पागल होते,

अपनी खुद की जिन्दगी के बातें भी कभी भूल जाते।


फिर पति ने पत्नी को बोला, ठीक है अब से मैं लिखूंगा,

तुम गुन गुनाते हुए तुम्हारी दिल की बाते बोलते रहना।


तब पत्नी ने हँसते हुए अपनी दिल की बात सुनाई,

पति ने बड़े ध्यान से सुना और लिखा, पत्नी शर्माई।


लिखते लिखते एक सुन्दर सी कविता का हुआ जन्म,

फिर पति ने बोला, अब चलो कवयित्री तुम कवि सम्मेलन।



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