राधे श्याम
राधे श्याम
कैसे तुम पढ़ लेते हो
इन नैनों के मौन को।
कैसे तुम पढ़ लेते हो
इन अनकहे अक्षरों को।
जीवंत तुम कर देते हो
मेरे हृदय के स्पंद को।
सार्थक कर देते हो मुझे
अपने श्वास के संग लेकर मुझे।
संपूर्ण कर देते हो मुझे
लेकर नाम अपने संग मेरा।
कैसे जान लेते हो
सारे अधखुले राज़ मेरे।
कैसे तुम बन पाते हो
मेरे हृदय के शब्दकोश।
मेरे अनकहे रागों को
कैसे तुम गुनगुना लेते हो।
मेरे इन शब्दों को
पंछी की भांति पंख तुम दे देते हो।
मेरे नयन नैया के
छलके आंसू बन जाते हो।
कैसे तुम इस राधे के
श्याम बन जाते हो।

