प्यासा
प्यासा
कुएँ के पास बैठा,
फिर भी प्यासा है
दिल में है नहीं तमन्ना,
फिर भी जिज्ञासा है
कौन उसे रोक रहा,
या किसी के रुकने की आशा है
कुएँ के पास बैठा ,
फिर भी प्यासा है
ये रोग है शायद प्रेम का
या नशा है उन नशीली आँखों का
जिसने उसे अभी तक थामा है।
अकेला वो बैठा, सबसे अनजाना है
रुका फिर किसके लिए,
जब सब छोड़कर जाना है
कुएँ के पास बैठा,
फिर भी प्यासा है।