इस कदर
इस कदर
तुम्हारी खूबसूरती का
आलम इस कदर छाया है,
तन्हाई में होता हूँ जब मैं,
तुम्हें ही पाया है।
यूँ तुम इस कदर बसी,
तुम्हें माना अपना साया है
आईना भी शर्मा जाए
तुम्हारा जादू इस कदर
दिलों पर छाया है।
उस धुन की तरह तुम रोज़ बजती,
मेरे गीत से जो आया है
तुम्हारा प्रेम इस कदर बिखरा मुझपर,
मैंने स्वयं में तुम्हें पाया है।
तुझे मिलने के बाद से ही,
तेरे नाम का हर गीत गाया है
तेरा एहसास दिमाग पर इस कदर चढ़ा
लगता है ये कोई छल या माया है।