प्यार का बुख़ार
प्यार का बुख़ार
लांघ कर सारी दीवार चढ़ गया जब हम पर भी
प्यार का बुखार
रहता हर समय उसी का ध्यान
हद तो तब हो गई
जब प्रश्न के उत्तर में
लिख दिया उसका नाम
बचते बचाते मिलने हम पहुँचे
भाई ने उसके
गुंडे लगा दिए पीछे
जैसे तैसे उनसे तो निपटे
अनभिज्ञ थे हम
किया अज्ञात शत्रु ने वार
कोरोना था उसका नाम
निकलना अब दूभर हो गया
प्यार फ़ोन तक सीमित हो गया
फासलों में इश्क़ सो गया
एक अरसे बाद निकले वहाँ से
पता चला ,
अब मोहल्ला भी अलग हो गया ॥