कर्मफल
कर्मफल
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
कंस, दुर्योधन कहानी
हिरण्यकशिपु..पुरानी
हिटलर.....सालाजार,
चंगेज और...सकिंदर,
नेपोलियन जैसे..भक्षी
नर संहारकों.....दुर्दिन
कितने हुए.....भयंकर
देखने पड़े, उनके अंत
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
अब गाथाओं ये अतीत
नागासाकी पर......बम
फ्रेड ओलीपी वैमानिक
गिरानेवाले..अमेरिकन
कितना.....हुआ...बुरा
हिरोशिमा खल नायक
मेजर ईथरली का..अंत
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
देख-सुनकर संकड़ों
किया.......कर लिया
अनुभव...नहीं बिना
संरक्षक बिन संसार
कहानी ये दुष्कामों
खलनायक.....बुरा
दुष्कर्म अंत...अभी
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
बाग जलिया..हत्या
याद.....वाला कांड
जब तक......रहेगी
तब तक........याद
डरावना.....जनरल
डायर चेहरा.....क्रूर
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
जन्मे डायर पंजाब,
वहीं के अन्न..जल
पा कर......पोषण
गुरुद्वार..अमृतसर
दीक्षित धर्म..सिख
स्वर्ण सिख..मन्दिर
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
आत्माओं हजारों
जनरल.....डायर
पिसवाया निर्दोष
कृत्य...हंटर कमेटी
कार्यों की की निंदा
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
ठहराया ठहरा बुरा
आदेश देने त्यागपत्र
फलत: अच्छी खासी
गई हाथ से नौकरी
इतने भर को नियति
विधि नहीं व्यवस्था
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
आगे जो हुआ यो
कर्म के फल पूर्ण
रहस्य मिलते ढंग
पक्षाघात जनरल
शरीर डायर आधा
बेकार संग गठिया
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
प्रकृति इतने न संतुष्ट
संरक्षक जनरल डायर
माइकेल ओडायर हत्या
चलना-फिरना भी दूभर
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
फटी दिमाग की नस
लाख कोशिशों डायर
सिसक सिसक कर
मरा तड़प-तड़प कर
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
बहुत सोच-समझ
बितानेवाले ज़िंदगी
व्यक्ति ही बुद्धिमान
जो अपने को..मुझ
चतुर और अहंकारी
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
कुछ भी......करते
न डरते, न लजाते
उनका क्या हो अंत
उसके अंतिम शब्द
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार
'मनुष्य को परमात्मा
दिया ये जो...जीवन
जानना हो तो..इन
प्रस्तुत क्षणों.....में
मुझसे जान......ले
असुरत्व रावण असुर
मिटा यो .....अहंकार
सवा दो लाख....जन
ना बचा जलाने..दीप
सदस्य ना....परिवार