STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

4  

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

मुझमें और तुम में

मुझमें और तुम में

2 mins
393

मुझमें और तुम में ये एक फ़र्क़ तो ज़रूर है

ख़ुशी तुम्हारे करीब है और मुझसे कोसों दूर है


मुझसे कहतीं रहीं मजबूरी हो मगर

ज़िन्दगी के सारे रस तो तुमको ही मिले हैं न


तुम मानो न मानो मगर हक़ीक़त यही है

फूल तो सब तुम्हारे ही आँगन में खिले हैं न


जो तुम नहीं बोल सकती हो वो मैं बोलता हूँ

अगर मैं गलत हूँ कहीं तो मुझे बताना  


मुझे नहीं आता किसी और से रिश्ता निभाना

तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम...


तुम्हें याद है कि मैं याद दिलाऊँ तुमको

कुछ समय पहले की ही बात बताऊँ तुमको


तुम्हारे लिए मैं सब कुछ हो गया था

मगर क्या गज़ब की पलटी खायी है तुमने


दुनिया रिश्तों पर चलती है प्यार पर कतई नहीं

ये बात मुझे कायदे से समझाई है तुमने


चलो तुम्हारा ही राज़ तुम्हें बताता हूँ मैं

अगर गलत हूँ मैं तो मुझे समझाना


मुझे नहीं आता किसी इंसान को खिलौना बनाना

तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम....   


अब जब रातों में जाग जागकर ख़्वाब नोचता हूँ मैं

तुम्हें चैन की नींद कैसे आ जाती है यही सोचता हूँ मैं   


तुम्हारे बारे में ख्याल आता है अब तो यही आता है  

सब कुछ जगह पर हो तो क्या ज़िन्दगी होती होगी न


ये सब तो ठीक है बहुत लोगों को मिलता है मगर   

किसी को पूरी तरह रौंद देने में अलग ख़ुशी होती होगी न


मुझे लगता है तुम्हारे साथ एक चीज़ तो होती होगी

अगर नहीं होती है तो ये बात भूल जाना


मुझे नहीं आता अपने आईने से नज़रें चुराना

तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम.....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance