मुझमें और तुम में
मुझमें और तुम में
मुझमें और तुम में ये एक फ़र्क़ तो ज़रूर है
ख़ुशी तुम्हारे करीब है और मुझसे कोसों दूर है
मुझसे कहतीं रहीं मजबूरी हो मगर
ज़िन्दगी के सारे रस तो तुमको ही मिले हैं न
तुम मानो न मानो मगर हक़ीक़त यही है
फूल तो सब तुम्हारे ही आँगन में खिले हैं न
जो तुम नहीं बोल सकती हो वो मैं बोलता हूँ
अगर मैं गलत हूँ कहीं तो मुझे बताना
मुझे नहीं आता किसी और से रिश्ता निभाना
तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम...
तुम्हें याद है कि मैं याद दिलाऊँ तुमको
कुछ समय पहले की ही बात बताऊँ तुमको
तुम्हारे लिए मैं सब कुछ हो गया था
मगर क्या गज़ब की पलटी खायी है तुमने
दुनिया रिश्तों पर चलती है प्यार पर कतई नहीं
ये बात मुझे कायदे से समझाई है तुमने
चलो तुम्हारा ही राज़ तुम्हें बताता हूँ मैं
अगर गलत हूँ मैं तो मुझे समझाना
मुझे नहीं आता किसी इंसान को खिलौना बनाना
तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम....
अब जब रातों में जाग जागकर ख़्वाब नोचता हूँ मैं
तुम्हें चैन की नींद कैसे आ जाती है यही सोचता हूँ मैं
तुम्हारे बारे में ख्याल आता है अब तो यही आता है
सब कुछ जगह पर हो तो क्या ज़िन्दगी होती होगी न
ये सब तो ठीक है बहुत लोगों को मिलता है मगर
किसी को पूरी तरह रौंद देने में अलग ख़ुशी होती होगी न
मुझे लगता है तुम्हारे साथ एक चीज़ तो होती होगी
अगर नहीं होती है तो ये बात भूल जाना
मुझे नहीं आता अपने आईने से नज़रें चुराना
तुम्हें आता है इसलिए खुश हो तुम.....