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Sonam Rout

Tragedy Inspirational

4  

Sonam Rout

Tragedy Inspirational

एक सचाई बनूँगी तीखी

एक सचाई बनूँगी तीखी

2 mins
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कदम कदम लड़खड़ाती गिरी,

लडक़ी होना, पड़ा मुझे जिंदगी भर भारी।

और मैं इक कहानी अधूरी बनी।।

लड़ना मैने कोख में ही सीखा।

फिर भी हार जाती,

अगर माँ ने न साथ दिया होता,

मेरे आते किसी ने सलामती न पूछी,

चढ़े आवाज में पूछे पिताजी,

लड़की काली है या गोरी,

गोरी है तो ठीक,

काली है तो किस्मत फूटी।

वाह !!!! रे दुनिया!!!!

मैने जन्म क्या लिया ,सब ने बिदाई सोची।

मेरे लिए धोखा पर सब का दिलासा

मेरे पर सफेद रंग चढ़ा था।।

काली होती तो मानो कोई कहानी भी न होती,

मानो कोई इंसान भी न होती।।

किसी ने माँ से कहा,

बड़ी प्यारी गुड़िया है तेरी ,

एक से एक बढ़कर रिश्तेदारी मिलेगी।।

बस माँ ने कह दिया-----

"" रीति रिवाज नीति नियम के चक्रव्यूह में हूँ फंसी

मैं खुद हूँ लड़की ,तो अधूरी बनी,

जिंदगी भर डरी सहमी!!!

पर मेरी गुड़िया तो खूबसूरत ख़्वाब है बनी""।

न जाने कितनी मुश्किले आने बाकी थे,

ख्वाब सजाने को मानो फुरसत भी नहीं।

जो मैं इक लड़की हूँ,

इक कहानी अधूरी बनी।

हर मोड़ पे टकराती गिरी,

हाथ थाम ने को जमाना भी न राजी।

भर भर ताने बरसाए,

क्यों मैं चली थी अपने मर्ज़ी,

"घर गृहस्थी संभालने की जगह-

चली है डुबाने अपनी हस्ती ।।"

पर जमाने को कहाँ था ख़बर,

डूबी थी हस्ती मेरी ,

घर के चार दीवारों के अंदर।

मैं बन कैदी घूंट घूंट जीती हुई-

हर रंजिशों ने मुझे जकड़ा,

हर रिश्तो के बंदिशों में थी बंधी।।

मैं लड़की हूँ तो अधूरी कहानी बनी,

सपने सजाऊँ हैसियत जमाने ने छीनी।

संस्कार और समाज के पत्थर सा चट्टानों पर,

ख्वाब मेरा आसमान से टूट गिरता था।

मैं छटपटाती लहू से लथपथ,

दुनिया ये देख हँसता था।।

मेरे लहू के रंग से हर दिशा रंगीन बनी,

पर मैं इक बेज़ान फिकी तस्वीर बनी,

जो लड़की हूँ तो इक अधूरी कहानी बनी,

मुझ पर आधारित तो सिर्फ किस्से बनते हैं,

क्यों कि मैं इक लड़की हूँ।

किस्मत ने ही न नवाजी मुझे,

की मैं कोई प्यारी कहानी बनु।

बस यूं ही रोती गाती इक छबि बनी,

कोरे कागज सी वीरानी 

थी जिंदगी भर झेलनी।

बस यह ही मेरी अधूरी कहानी,

अन्तरात्मा की प्रतिध्वनि।

पल पल मुझे तिलमिलाती,

मेरे सहन शक्ति को तोलती,

और सिसकियाँ ले ले कर कहती,

जीबन में मुझे भी चहिए स्वप्न स्वीकृति।।

इन सब के बावजूद जो बचीखुची

है मेरे अंदर की क्षिणशक्ति

उसे ही संभाल सजाऊँ पथ प्रगति।

कहानी चाहे अधूरी हूँ,,

पर एक सचाई बनूँगी तीखी।।



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