नई दिशा
नई दिशा
यादों से निकल,
चल इक सपना सच करते हैं।
सफ़र तन्हा छोड़,
खुशियों की कतार में चलते हैं।
रोने से, तड़पने से,
दूर दुनिया इक सजाएंगे.....
बेबसी को तोड़,
यार!!!!!
चल इक नई राह पर चलते हैं।।।
टूटी टूटी रतियोँ में,
अधूरे मेरे सपने।।।
फ़िर भी आश जगाती हूँ,
सँजोकर एहसाह अपने।
दुनिया से चुराके
ले चलूँ संग मेरे ।।।
आशियां एक मुकम्मल करूँ
जहाँ सच हो सपने तेरे।।
फ़िर क्यों बेबस बैठा है,
आ थाम एहसास मेरे।।
नई मंजिल तय करके,
राह चलना है संग तेरे।।।।
सूरज खिल खिलाता,
फूलों को खुशियां बांट रहा है।
पतझड़ के मौसम गए,
अब मौसम-ए-सौगात आया है।
हवा में धुन घुल चुकी है,
मचा है दिल पंछियों के शोर,
नकाब मलिन उतार तू,
मिज़ाज-ए-इश्क़ का लिबाज़ ओढ़।।।
फिर क्यों उदास बैठा है,
चल इक नई दिशा की ओर।।।

