वो कौन थी??
वो कौन थी??
तुझ में सारी दुनिया निसार,
पर तू जिस खुशबू में था खोया ,
वो कली कौन थी?
तेरे महफ़िल में सब खुशहाल ,
पर एक उदास तस्वीर लिए बैठी ,
वो मेहमान कौन थी?
तेरे संग हर ख्वाब मुकम्मल,
पर जिस रात ख्वाब टूटा,
उसका सवेरा कौन थी?
दिल के आसमां पर एहसास चमकीले,
पर जो नज्म छूटा,
उसकी रोशनी कौन थी?
इश्क़ के धागे में गजल उम्दा पिरोया,
जो लफ्ज़ तुझसे छूटा,
वो बदनसीब कौन थी?
अरसे से कलम है तूने थामा,
पर जिसको न लिख पाया,
वो कविता कौन थी?
तेरी आवाज के बरसात में मौसम सुरीला,
पर जो सुर तुझे तरसाये,
उनकी गायिकी कौन थी?
हर किसीको राह सही दिखाया,
पर तू चला उलझा अकेला,
वो तेरी उलझन कौन थी?
बेसबब ख़यालों में बिखरा,
तू जो मंजिल तय कर था निकला,
वो सफर तन्हां कौन थी?
वो कोई न थी !!! वो जो भी थी,
खुद मुझे मिली तो नहीं,
पर इक दुआ बन मिली!
जभी मैं कलम को थामा,
वो अलफ़ाज़ बन उतरती।
मेरे शोर भरी दुनिया में वो मौन थी,
!!कभी कभी मैं भी हैरान हूं!!
वो कौन थी? वो कौन थी?
