बहता चल!
बहता चल!
बहता चल बस चलता चल
वक़्त से आगे निकलता चल।
दो क़दम आगे की सोच कर
मुश्किलों का हल करता चल।
पैर में गर कंकड़ चुभते है
उन्हीं से मीनारें बनाता चल।
गैर हो चाहे, तेरे अपने हो
राह टोके तो तू लड़ता चल।
थक कर बैठ, रुक कर चल
क़दम छोटे ले पर बढ़ाता चल।
सौ अड़चनें तो आयेंगी
ताक़त शेर सा लेता चल।
अपनी शिकस्त सब सुनाएंगे
धुन जीत का तू बजाता चल।
