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Aishani Aishani

Tragedy

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Aishani Aishani

Tragedy

हम कहाँ जायेंगे..!

हम कहाँ जायेंगे..!

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वो चढ़ बैठा सीने पर

लगा कहने मुझसे रो रो कर

जो आप यूँ बेतहाशा जंगल काटेंगे

तो बोलो हम कहाँ जायेंगे ..? 

यकीनन अपना आशियाँ तुम्हारे घर बनायेंगे..! 

हम जो कंद मूल नहीं पायेगें

तो सच मानो तुमको ही खायेंगे

हम जंगल के निवासी, 

जंगली जीवजंतु../ कंदमूल फल हमारा आहार

हमें आहत कर तुम बना रहे अपना विहार

तुमको नहीं खायेंगे तो अपनी क्षुधा कैसे शांत कर पायेंगे..? 

बोलो हम कहाँ जायेंगे..? 

तुम आदम जात हमें बनाते हो आदमखोर...? 

हमारा आशियाना उजाड़ कर बढ़ा रहे अपना

व्यापार कर रहे भोगविलास

ये तो बताओ.. 

जो जंगल ही ना रहा तो फिर... 

इंधन कहाँ से पाओगे...? 

कहाँ से लाओगे वर्षा अशोक

कहाँ पाओगे सागौन / शीशम /चीड़ और

कैसे बताओगे अगली पीढ़ी को जंगल की उपयोगिता..? 

क्या सुनाओगे क्या होता है पलाश / गुलमोहर/ अशोक..? 

कैसे बता पाओगे कि तुमने उनकी और राष्ट्र के धरोहर को तहश-नहश कर दिया

अब ये विशालकाय महल और ये है कृत्रिम आक्सीजन सिलेंडर

और ये हैं हमारे स्वास्थ्य के रक्षक

अब कोई भालू बंदर शेर हाथी चिता नहीं

हमने ही उनका खात्मा कर दिया

अब ना मिलेगी शीतल छाया और मंदमोहन मंद पवन का झोका

क्या कहोगे कि.. 

हम हैं तुम्हारे गुनाहगार /तुम्हारे बिगड़े सेहत के जिम्मेदार

हमने नष्ट कर दिये प्राकृतिक/ नैसर्गिक सौन्दर्य

नदी / तालाब / झरने जो इस धरा से विलुप्त हैं

ये हमारे कर्मो कै फल हैं

आधुनिकता की दौड़ और दिखावे ने  

कर दिया हमरा मतिभ्रम मुझे मुआफ़ करना 

गुनाहगार तुम्हारे हैं हम

घुटने लगा जब मेरा दम

नींद खुली झट उठ बैठा 

देखा यह तो था एक स्वप्न

उफ़्फ़्फ्फ..! उफ़्फ़्फ्फ.. / उफ़्फ़स्वप्

ऐसा भयावह स्वप्न

लिया मन में फिर ठान

नहीं कटने देंगे जंगल

नहीं होगा हमारा उजड़ा चमन

 नहीं होगी विलुप्त जंगली जीवजंतु की प्रजातियां..! 

पेड़ ही नहीं लगायेंगे वरन उनका अस्तित्व भी संभालेंगे..! 

जंगल नहीं उजाड़ने देंगे..।।


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