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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Tragedy

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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Tragedy

बाग जलियांवाला

बाग जलियांवाला

2 mins
290

ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


गुलामी कई पन्नों

खूनी काले धब्बे 

रगो में खून दौड़े

सीना गर्व चौड़ा

आंखों में आंसू

जहन भरा दर्द


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


103 वीं तेरहवीं

13 अप्रैल 1919

गोलियों की बरसात

गोलियों से छलनी

बच्चे, महिला, बूढ़े

मौत का वह मंजर

रूह को चोटिल


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


बैसाखी पर मौके

स्वर्ण मंदिर विषेश

शांतिपूर्ण सुरक्षित

बाग जलियांवाला

एक एक कर बीस


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


बैसाखी में कर्फ्यू

इकट्ठे बैसाखी मेला

हजारों की भीड़

शांति साथ त्योहार


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


दमनकारी रोलेट एक्ट

सत्यपाल व सैफुद्दीन 

गिरफ्तारी के खिलाफ

जन सभा शांतिपूर्ण


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


हजारों की देख भीड़ 

1857 क्रान्ति भरम

बौखला फिरंगी क्रूर

ब्रिटिश सैनिक संग

जल्लाद रूपी डायर


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


बिना चेतावनी अंधाधुन

10 मिनट 1650 राउंड

गोलियों की बरसात

सारी हदें क्रूरता पार


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


हर तरफ ऊंची मकान

एक ही संकरा रास्ता

ना निकलने ना भागने

एक संकरा राह घेरा

जलियांवाला वह बाग


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


कुआं एक भरी लाशें

क्रूरता का वह मंजर

13 तारीख 100 वर्ष

यह बैसाखी पर्व पूरे


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं


सौ साल पहले यह

घाव पुरानी आज

दर्दनाक कालखंडी

नरसंहार यादें ताजा


ऐसी खूनी दास्तां

आजादी-ए-शहादत

वह बाग जलियांवाला

खून की बही नदियां

लाशों से पटी कुआं



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