पत्र जो लिखा, मगर भेजा नहीं...
पत्र जो लिखा, मगर भेजा नहीं...
कितनी बातें थी,
कहनी, सुनानी थीं,
एक कहानी थीं,
जो पूरी करानी थी
वो लमहें, पल,
जो बीते थे कल,
अधूरी बातें बतानी थीं,
शब्दों की मेरी बयानी थी
सोचा जो, तुमको सुनानी थी,
पर
बिना मिले तुम चले गए,
जज़्बात दिल में दबे रहे,
पीछे मुड़कर भी न देखा,
हम तेरी राहों में खड़े रहे।
हमने
लिखा था दर्द नया,
शब्दों ने गढ़ा था प्यार तेरा,
भावना एक पत्र में उकेरी थी,
संदेशा लिफ़ाफ़े में डाला था।
फिर
देख के तेरी बेरुखी,
आखों में आई मेरे नमी,
बढ़ते हाथ रुक गए,
पत्र लिखा जो तेरे लिए,
मगर भेजा ही नहीं।
