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mohammad imran

Comedy

4  

mohammad imran

Comedy

पति पत्नी

पति पत्नी

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पति पत्नी 

बड़े प्यार से आकर मेरे, पास बैठ कर बोली 

दिल हुआ मेरा गद-गद लगा के, करेगी हँसी ठिठोली 


हाथो में मेरा हाथ लेके, माँगा एक वचन  

फिर कहती है उठो चलो, अब धोयो सब घर के बर्तन 


बुरा फंसा मै वचन देके, सामत मेरी आयी 

दिमाग घूम गया नजर घुमाके, जब देखा काली कढ़ाई 


घिस-घिस के हाथ दुःख गया,सफ़ेद कर ना पाया 

ऐसा लगा जैसे सारा गुस्सा, उसने एक झटके में उतार लिया 


चलो जो भी हो, मैंने जैसे इससे छुटकरा पाया

घर के सारे गंदे कपड़े ,गट्ठा बांध के आया  

अभी तो मैंने सांस भी ना लिया था,की दूसरा फरमान आया


उठो पति देव कपड़े धोलो, आज खीर पकाऊंगी 

आज मेरे कर्मठ पति को, अपने हाथ से खिलाऊंगी 

 

मुस्कुरा के मैंने बोला,ये गठा देख कहा मै गबराता हूँ 

चलो तुम खीर बनाओ,अभी मैं इनको धोके आता हूँ 


मंद-मंद मुस्काके, पत्नी किचेन के ओर चली 

मेरी छाती फट गई,जब मुझे वाशिंग मशीन ख़राब मिली

 

ऐसा लगा जैसे ,सर मेरा हुआ भारी

भाईओ सावधान रहो, जब भी देखो मुस्कुराती नारी 


जैसे-तैसे करके मैं, धोया कपड़े सारे 

छत पे गया सूखने को डाला,फिर से घर में पधारे 


फिर सुना मीठी आवाज़ जैसे,कानो में मिश्री घोल गई 

अच्छे से घर की सफाई करदो,यही तो आके बोल गई 


फिर क्या था,सोचा अब वाकुम क्लीनर काम आएगा

पर वो तो ख़राब पड़ा था,अब हाथ ही साथ निभाएगा

 

छीकता रहा, खास्ता रहा ,फर्स रगड़-रगड़ के साफ़ किया

जब सारा काम सलट गया 


तब बीबी ने जाके माफ़ किया 


थकान से बदन जैसे टूट रहा था

ऐसा लगता था,हम दोनों में प्यार मोहब्बत टूट रहा था 


तभी किचन से खीर की ,मधुर खुसबू आई  

मैडम जी ने बड़े प्यार से, मुझको लाके खिलाई 


सारी थकान मिट गयी, मन हल्का सा हो गया

फिर क्या था, मैं भी उनके नीली आँखों में खो गया। 


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