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Neha Rawat

Comedy

0.8  

Neha Rawat

Comedy

फ़र्क

फ़र्क

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जो रीत चली सालो से वह पत्थर की लकीर है

हम तो पालन करने वाले छोटे से एक फ़कीर है।

सदियों कि इस परम्परा पर हमको गर्व है।

ऐ नादान परिंदे.....यह फ़क्र नही यह फ़र्क है।

 

जो रीत बनी सो बनी चली

तू बस हक ही छीनता जाएगा।

मत कर इतना घमंड ऐ इंसान

एक दिन तू भी मिट्टी मेंं मिल जाएगा।

 

क्यो भेदभाव करता है तू

खुदा के ही बंदे है सब।

जितने मस्जिद़ तू बनाले

ना छीन पाएगा मज़हब।

 

जात पात के भ्रम मेंं

कब तक उन्हें सताएगा

छुआछूत करके तू

आखिर क्या साबित कर पाएगा।

 

तू हरिजनो से क्यो छियानवे कि दूरी रखता है

क्यो तू उनके हाथ का पानी नही पि सकता है।

क्या यह ही तेरी जात है

यह तो शत प्रतिशत पाप है।

 

जो रीत चली सालो से वह पत्थर की लकीर है

हम तो पालन करने वाले छोटे से एक फकीर है।

सदियो कि इस परम्परा पर हमको गर्व है।

ऐ नादान परिंदे.....यह फ़क्र नही यह फ़र्क है।

 

जो शिक्षा पे बच्चो कि बात आती है

तो जात-पात खींची चली आती है।

दूर मासूमों को कर अधिकार से

वो चहरें कि हँसी गुम कर जाती हैं।

 

दिल की धड़कन चल रही 

बस इसी इंतजार मेंं।

यह मानव कब मानव से दूर होगा

बनी रीत के प्यार मेंं।

 

वो सम्मान जो तुम खो बैठे

करके अपनी आत्मा का खून।

जो तूने घर उजाडे़

लेके खुद की मौत का जुनून।

 

तू है बड़ा तू ब्रहाम्ण है

तू लड़ रहा तू क्षत्रिय

तू कर्म करता वैश्या है।

और तू जो सह रहा तू है दलित।

 

जो रीत चली सालो से वह पत्थर की लकीर है

हम तो पालान करने वाले छोटे से एक फ़कीर है।

सदियो कि इस परम्परा पर हमको गर्व है।

ऐ नादान परिंदे.....यह फ़क्र नही यह फ़र्क है।

 

तेरी गलती नही हरिजन 

तुझे खुदा ने ही बनाया है।

यह तो उनका दोष है

जिन्हे खुदा ने आज़माया है।

 

दिल पर हाथ रखकर

बंदे खूद से ही तू यह पूछ ले।

क्या तेरा खून नही खौलता

जब हरिजन है यह झूझते।

 

है इंसानियत...तो तेरी भी कांपेगी रूह

एक बार आवाज़ उठा के बोल दे यूं।

ना मैं बड़ा

ना हूँ मैं छोटा

हूँ तो हूँ बस एक इंसा ही हूँ।

 


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