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mohammad imran

Inspirational

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आस्था और सच

आस्था और सच

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आस्था है बहुत ख़ुदा और भगवान में,
फिर दिखावा क्यों है दुनिया जहान में।

 रूह की रोशनी से सजता है दिल,
क्या रखा है सोने-चाँदी के मकान में।

 नेकी करे जो वही इंसान कहलाए,
वरना खो जाता है नाम अभिमान में।

 दुआ उसी की सुनेगा मालिक जहाँ का,
जो न झूठा हो दावे और ऐलान में।

 मंदिर–मस्जिद से नहीं पहचान होती,
ख़ुदा बसता है हर सच्चे इन्सान में।

 लाख सजदा करो मगर दिल न हो पाक,
कब असर लाएगी ऐसी इबादत अरमान में।

 झूठ के परदे पे सच्चाई नहीं मिलती,
फूल नहीं खिलते पत्थर की जान में।

 जो भी बंटवारा करे मज़हब के नाम पर,
 वो कहाँ शामिल है मालिक के मेहरबान में।

 इश्क़ और इंसानियत से रौशन हो दिल,
यही पैग़ाम है हर धर्म–ग्रन्थ के बयान में।

 लेखक: मोहम्मद इमरान सिवान बिहार


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