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mohammad imran

Tragedy

4  

mohammad imran

Tragedy

भैया का वादा

भैया का वादा

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वादा किया है भैया ने 

इस राखी पर आएंगे 

प्यारी सी इस बहना के

हाथों से मिठाई खायेंगे


इस बार बहाना नहीं चलेगा

राखी कुरियर भेजवा देना 

जेब खाली कर दूंगी उनकी

कमाया है जो सारा खजाना 

हाथ राखी बांध कर मैं 

उनके माथे तिलक लगाऊंगी


पैर उनके छू कर मैं 

उनसे आशीष पाऊंगी 

सुंदर सी एक राखी मैने 

उनके लिए बनाया है 

भैया मेरे गौरव है 


चांद तारों से सजाया है 

दिल मेरा व्याकुल सा है

कब वो शुभ घड़ी आएगी 

तड़प रही छोटी बहना 

भैया की झलक पाएगी


    ये क्या ? जो घर में सन्नाटा छा गया

    सब के चेहरे उतरे क्यू है 

    कैसा संदेशा आ गया

    मां की आंखे लाल हो गई


    पिताजी भी सुन क्यों पड़ गए

    कोई मुझे बताता नहीं 

    क्या मेरे सपने बिखर गए 

    ताबूत तिरंगा लिपटा 

    क्यूँ दरवाजे पर आया है 


    नम आंखों से जिसको 

    सिपाहियो ने उठाया है 

    चीख पड़ी बात मेरे जब 

     पूरा समझ आ गई

    भैया मेरे रूठ गए 

    

 इस लिए मातम छाया है

     उठ जाओ भैया मैं तुम से 

     कोई उपहार न मांगुगी

     गले लगालो मुझको बस

     राखी तुम्हे जो बांधनी है

  

   उठ जाओ उठ जाओ 

     मेरा भी फर्ज चुकाना है

     छोड़ के अपने बहना को 

     अकेले कहीं नहींं जाना है।


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