सवाल है मेरे
सवाल है मेरे
जब मैंने जन्म लिया
मां के चेहरे मायूसी थी
रूठे थे परिवार में सब
माहौल में खामोशी थी
बेटा नहीं मैं बेटी थी
मम्मी के पास ही लेटी थी
हाथ बढ़ा कर कोई
गोद लेने को तयार न था
दादी बुदबुदा रही थी
डॉक्टर बड़ा कमिना है
पैसे हमारा लूट लिया
लल्ला हम से छीना है
सच्ची बात बता देता तो
इसका मुंह न देखते हम
वंश बढ़ेगा कैसे आगे
पहले ही इसको फैंकते हम
पापा मेरे शर्मीदा थे
मोहब्बत दबाए बैठे थे
दादी से वो डरते थे
इसलिए घबराए बैठे थे
मैं मासूम हाथ पैर पटक कर
जोड़ जोड़ चिल्लाती थी
मैं लड़की थी इस लिए
परिवार कोनहीं भाती थी
मनहूश सिर्फ मैंनहीं थी
एक बड़ी बहन भी थी मेरी
इसलिए तो मातम पसरी थी
मां के आंख लाली जकड़ी थी
कैसा समाज निष्ठुर है जो
बेटी से कन्नी काटता है
बलि चढ़ा कर बेटी की
बेटा के नाम मिठाई बाँटता है
उन्नत विज्ञान भी देखो कैसे
मां के पेट में झांकता है
चंद टुकड़ों के लालच में
हमारा जीवन से नाता कटता है
जबकि सबको पता है
अनुपात बराबर रखना है
खुद के बेटे पर हाथ फेर कर
दूसरे पर "बेटानहीं हुआ"हंसना है
मुझे देख जब मुंह बिचके
तभी तो मैं मर गई
क्या बिगाड़ा था मैने जो
जमीन के नीचे गड़ गई
बेटी बचाओ और जन्नत पाओ
मार कर उसको ना दोजक जाओ।