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Chandan Kumar

Comedy

4  

Chandan Kumar

Comedy

महफिल का सच

महफिल का सच

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🎉महफ़िल का सच ✍️

सारे परिचित पीछे बैठे,
सारे अजनबी आगे बैठे,
ये महफ़िल की उस्तादी है
या कुछ और, पता नहीं।

चेहरे सब मुस्कान लिए थे,
पर मन में संदेह पले थे,
यहाँ तालियाँ आदत से बजतीं,
दिल से कौन बंधा नहीं।

किसे बुलाया, किसे भुलाया,
किसे सराहा, किसे गिराया,
ये खेल है बस दिखावे का,
जिसमें सच्चा सिला नहीं।

शब्दों की बोली लगती है,
भावनाओं की छुट्टी है,
यहाँ हर कोई कवि बना है,
पर कवि-मन दिखता कहीं नहीं।

मैं भी मंच पे जा पहुँचा था,
कुछ दर्द छुपा, कुछ कह आया था,
पर भीड़ की चुप्पी चुभती थी,
सराहना में रवानी नहीं।

अब समझा — ये महफ़िल सजती,
बस चेहरों की नुमाइश तक,
यहाँ दिल से जो कहे कोई,
वो शायद काबिल बना नहीं।


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