फटी जेब
फटी जेब
फटी जेब का किस्सा भी क्या कमाल है
सामान खरिद कर जेब में हाथ डालो तो
वाह सरे बाजार में क्या छिड़ता बवाल है
सामान देके बिल भुगतान को वो बोलते है
जेब में हाथ डाल फिर इधर उधर टटोलते है
अरे कहाँ गिर गया बटुआ वो झट बोलते है
ग्राहक की हरकत देख वो तो समझ जाते है
सामान हाथ से खोस के भगाने लग जाते है
गालियाँ घुसे और जूते भी मुफ्त में पड़ते है
ईटों-डंडो से फोड़ा जाता उसका कपाल है
चोकटे पर बना देते जैसे नक्शा भोपाल है
गिरते पड़ते पहुँचे जैसे ड्रम लुढक कर आया
घुसते ही घर में बीवी पर जोर से झल्लाया
कहाँ मर गई क्या तुमको देता नही सुनाई
रुई की तरह बीवी की जम के करी धुनाई
सारे दिन घर में पड़ी पड़ी क्या करती है
एक टाँका लगाने में क्या तेरी माँ मरती है
तेरे आलस ने भरे बाजार कराइ फजीति है
लोगो से मेरे सर पर दे दनादन पड़ी जूती है
गुस्से में फिर बोली बीवी बात क्या है बोलो
हर एक पहेली का ठीक से भेद तुम खोलो
बोलना क्या खोलना क्या कोई भेद नही है
मेरी हालत पर क्या तुमको कोई खेद नही है
साफ साफ बोलो क्या हुआ आज तुम्हारे साथ
कहीं तुम कर तो नहीं आए किसी से दो दो हाथ
दो दो हाथ हो जाते तो कलेश किस बात का था
भीगो भीगो कर जुते पड़े है दुख इस बात का था
फटी जेब से निकल गई मेरी गाढ़ी कमाई फोकट में
पुरे माह करना पड़े फांका तो हो जाऊँगा चोपट में
दुख ना करो सब्र करो गए तो गए कोई बात नहीं है
खुद को अकेला क्युं समझा क्या मेरा साथ नहीं है
खुश हो गया पत्नी की सुन कर हाँ ये बात सही है
क्या खुब कही है क्या खुब कही है क्या खुब कही है!