STORYMIRROR

Devendraa Kumar mishra

Comedy Tragedy

4  

Devendraa Kumar mishra

Comedy Tragedy

शक्कर

शक्कर

1 min
221

मंहगी, महंगी, दिन व दिन महंगी होती शक्कर 

इतनी शरमाई, शर्म के मारे शक्कर से मिठास 

निकल गई. अब ये हाल है कि शक्कर को

मीठा करने के लिए शक्कर में शक्कर मिलाते हैं 

फिर भी मीठा पन न आ पाए तो उसमें केमिकल मिलाते हैं 


तब जाकर शक्कर हो पाती है कृत्रिम नकली मीठी 

और इस मीठे पन से जीभ तृप्त हो या न हो 

डाइबिटीज जरूर हो जाती है 

हमें तो अपने पेशाब में लगे चींटों से पता चलता है कि हमने शक्कर खाई है 

और चींटों को लगता है कि मीठी ईद या दीवाली आयी है 


डॉक्टर कहता है मीठा कम खाओ 

और हम सोचकर हैरान होते हैं कि एक ज़माना हो गया शक्कर देखे 

ये शुगर कैसे हो गई 

व्यापारी कहता है, शक्कर ही शक्कर है 

तभी तो शुगर की बीमारी आम हो गई 

शक्कर कहती हैं ये मेरी मिठास नहीं है,


गन्ने की नहीं, गुड़ की नहीं 

ये रसायनों की बनी है 

मुहं मीठा हो न हो 

पेशाब जरूर मीठी होगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy