हास्य (बुरी नजर)
हास्य (बुरी नजर)
जिस किसी लड़की ने मुझ पर बुरी नजर है डाली
देख उस लड़की को बना लूँगा मैं अपनी घरवाली
फिर सोचते रहना बैठे बैठे ये क्या से क्या हो गया
और मैं मनाऊँगा ख़ुशिया जैसे ईद हो या दीवाली
तेरे भाई को बनाऊँ साला बहन को बनाऊँ साली
तू गुनगुनाती रहना दर्द भरे नगमे ग़ज़ल कव्वाली
कतई जहर कहर सी लग रही थी पहने आभूषण
बालो में गजरा माथे में बिंदिया कानो में थी बाली
मैं था यारो थोड़ा गोरा वो थी मुझसे थोड़ी काली
फब रहा था उस पर वो काली साड़ी जाली वाली
आँखों से आँखें, मुँह से सिटी, हाथों से मारी ताली
तब समझ आया यारों ये तो है अलग टाइप वाली।