तर्ज : मेरे सामने वाली खिड़की
तर्ज : मेरे सामने वाली खिड़की
पैरोडी -4 तर्ज : मेरे सामने वाली खिड़की में
मेरे सामने वाले बंगले में मेरी छमिया भाभी रहती हैं
ये कहते हैं सब लोग मुझे वो सबके दिल में रहती हैं
मेरे सामने वाले बंगले में मेरी छमिया भाभी रहती हैं
उनकी मुस्कान से गुलशन के सब फूल खिल खिल जाते हैं
जब चलती हैं वे बल खाकर लाशों के ढ़ेर लग जाते हैं
सबकी आंखों में सपने सी दिन रात वही बस बसती हैं
मेरे सामने वाले बंगले में मेरी छमिया भाभी रहती हैं
चंचल शोख हसीना सी चुलबुली चमेली चिकनी सी
बड़ी लंबी लंबी फेंकती हैं और दिखने में वे ठिगनी सी
उनके बिन हर सुबह शाम सूनी सूनी सी रहती हैं
मेरे सामने वाले बंगले में मेरी छमिया भाभी रहती हैं
ये कहते हैं सब लोग मुझे वो सबके दिल में रहती हैं
मेरे सामने वाले बंगले में मेरी छमिया भाभी रहती हैं।