मोटापा
मोटापा
पौ फट गयी जागो, जूते पहन कर भागो
दौड़ ना लगाओगे तो मोटे होते जाओगे
कपड़े फिट ना आएंगे लोग अदरक तुम्हें बुलाएँगे
मधुमेह मे जकड़े जाओगे तो मन की ना खा पाओगे
कमर नहीं कमरा होगा चादर जैसा कुर्ता होगा
समारोह में जब भी जाओगे आत्मसम्मान का भूर्ता होगा
खाके जो सो जाओगे कुम्भकर्ण हो जाओगे
जो सीढ़ी ना अपनाओगे तो चलने में भी सुस्ताओगे
हर द्वार तेरा सिकुड़ा होगा हर गली में फिर लफड़ा होगा
खटिया भी मचमचाएगा कंबोड तशरीफ उठा ना पाएगा
तन नहीं उठने देगा और मन नहीं भगने देगा
थोड़े समय में बदन तुम्हारा तुम्हें नहीं हिलने देगा
जो दौड़ तुम लगाओगे पसीना खूब बहाओगे
अपनी चर्बी को तुम तब अपनी मर्जी से जलाओगे
तुमको कसम ये खानी है वज़न नहीं बढानी है
चाहे थक कर चुर हो जाए फिर भी दौड़ लगानी है।