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Vandana Singh

Drama Romance

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Vandana Singh

Drama Romance

प्रवेश करता है कोई

प्रवेश करता है कोई

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जाड़े की ठिठुरन में

बहती उन सर्द हवाओं में

मैं दुबके पड़ी रहती हूँ

अपने आशियाने में

कि ये कौन सहला जाता है

मेरे मन-अन्तर्मन को।


खलबली मच जाती है

मेरे बाहर-भीतर,

ये कैसा स्वर

हाय ! ये कैसा शोर।


मैं झट उठकर

देखती हूँ बाहर

तो नीम की डाली पर

यूँ ही चिहकता है कोई।


सूरज की किरण बन

खिड़की से

मेरे मन में प्रवेश करता है कोई।।


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