एक मंजिला हो या हो बहुमंजिला अपना घर तो अपना घर ही होता है। एक मंजिला हो या हो बहुमंजिला अपना घर तो अपना घर ही होता है।
सूरज की किरण बन खिड़की से मेरे मन में प्रवेश करता है कोई। सूरज की किरण बन खिड़की से मेरे मन में प्रवेश करता है कोई।
बस आनंद के साथ हम मौज करते है बस आनंद के साथ हम मौज करते है
मानव करें पुकार, भगाओं तुम ये जाड़ा। मानव करें पुकार, भगाओं तुम ये जाड़ा।
वरना किस्मत में, मेरी गम हज़ार रहते हैं ! वरना किस्मत में, मेरी गम हज़ार रहते हैं !
जिनके पास ओढ़ने को नीलांबर और बिछाने को धरा के सिवा कुछ भी तो नहीं है। जिनके पास ओढ़ने को नीलांबर और बिछाने को धरा के सिवा कुछ भी तो नहीं है।