STORYMIRROR

Jai Singh(Jai)

Tragedy Action Inspirational

3  

Jai Singh(Jai)

Tragedy Action Inspirational

करों धुंध रवि पार

करों धुंध रवि पार

1 min
148

जाड़ा भारी पड़ रहा, सता रहा दिन रात

धूप ताप आती नहीं, धुंध दे रही मात


धुंध दे रही मात, भानु ने किया किनारा

लोग जलावे आग,ताप का अलग नजारा


करों धुंध रवि पार,काम अब करों न माड़ा

मानव करें पुकार, भगाओं तुम ये जाड़ा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy