करों धुंध रवि पार
करों धुंध रवि पार
जाड़ा भारी पड़ रहा, सता रहा दिन रात
धूप ताप आती नहीं, धुंध दे रही मात
धुंध दे रही मात, भानु ने किया किनारा
लोग जलावे आग,ताप का अलग नजारा
करों धुंध रवि पार,काम अब करों न माड़ा
मानव करें पुकार, भगाओं तुम ये जाड़ा।
