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Rajesh Narayan Ray

Tragedy Others

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Rajesh Narayan Ray

Tragedy Others

जाड़े की सांझ

जाड़े की सांझ

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जाड़े की एक सांझ

उदास अनमनी सी

कोहरे की चादर में लिपटी

प्रतीक्षा करती

रात्रि के आगमन की।

किंतु क्या ज्ञात इस सांझ को ?

आसन्न रात्रि, जिसकी प्रतीक्षा में है यह 

उसकी कल्पना मात्र से ही

कांप रहे हैं 

वे बेघर, बेसहारा लोग

जिनके पास ओढ़ने को नीलांबर

और बिछाने को धरा के सिवा

कुछ भी तो नहीं है।

बीती निर्मम रात्रि जिन्होंने

इस आस में है काटी

कि रश्मिरथी आकर 

हर लेंगे शीत का प्रभाव 

और अपनी रश्मियों की ऊष्मा से

करेंगे देह में प्राणों का संचार ।

किंतु दिवाकर पुनः चल पड़े हैं

अस्ताचल की ओर 

और यह मलिन सांझ 

जोह रही है बाट 

रात्रि के निविड़ अंधकार की ,

हाड़ कंपाती सर्दी में ठिठुरते 

उन कंकालों की क्या है उसे परवाह ?

वो तो रात्रि के आगोश में

करने चली विश्राम

जाड़े की वह सांझ।

             



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