प्रलय
प्रलय
जन्म लिया जिस जीव ने इस संसार में,
चले ही जाना है उसे एक दिन इस संसार से,
है नियम यह प्रकृति का अटूट।
रात्रि के अंधेरे के पश्चात,
सूर्योदय के प्रकाश से दिन का आगमन,
फिर सूर्यास्त से रात्रि का प्रारम्भ,
चलता है यह चक्र निरन्तर।
हैं युग चार सतयगुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग,
होता जल का तान्डव प्रत्येक युग की समाप्ति पर,
समेट लेता प्रलय समस्त जीव, जन्तु, वनस्पति,
को अपने आग़ोश में।
होती है सबसे अधिक जीवन अवधि,
पृथ्वी पर कच्छप की,
लगाना छलांग उसका समुद्र की विनाशकारी लहरों में,
है द्योतक जीवन समाप्ति का धरती पर,
और है सूचक नवजीवन को लिये,
शीघ्र ही नवयुग के प्रारम्भ का।।