"परिवार"
"परिवार"
जिनका होता है, एक परिवार
उनका सुखी होता है, संसार
वो लोग हो जाते है, लाचार
जो यहां रहते है, बिन परिवार
दुःख-सुख न सकते है, बांट
जिनका न हो, कोई रिश्तेदार
गम की नही काट सकते, रात
उन्हें खाते अकेलेपन विचार
जो यहां न रहते है, एक साथ
मानसिक रोग के होते, शिकार
जो रहता है, यहां बिन परिवार
वो हो जाता धाररहित, तलवार
जो रहते, बनकर सुंदर परिवार
वहां सब लोग होते, समझदार
उन लोगो मे होते, अच्छे संसार
जो पलते, दादा-दादी के साथ
पर आजकल बदली है, बयार
हम दो, हमारे दो, चली नर-नार
उन्हें न चाहिए बुजुर्गों का प्यार
वृद्धाआश्रम भेज रहे, बेसुमार
पर कहता है, साखी जीवन सार
उन घरों में होते ज्यादा, तलाक
जहां होते है, बस एकल परिवार
संयुक्त परिवार में बहती रसधार
नकारात्मक सोच होती, लाचार
सकारात्मकता की बहती, बयार
जहां रहते है, बुजुर्ग समझदार
वो घर होता है, सदैव गुलजार
बिना बुजुर्गों के कैसा, परिवार
बुजुर्गों से ही बनता है, परिवार
हर सदस्य से बनता है, एक हार
हिंद संस्कृति का यही है, सार
पूरी धरती माने अपना परिवार
हमारी यह जिंदगी बिन परिवार
ऐसे है, जैसे बिना खुश्बू फुलहार
परिवार बिन व्यर्थ सोलह श्रृंगार
सुख-शांति का वही होता है, वास
जिस जगह परिवार स्नेह अपार
बिना परिवार न होता है, उद्धार
परिवार में जो पलते, रहते उदार
जिनका होता है, एक परिवार
उनके पास खजाना, बेसुमार
ज़रा उन्हें पूंछो जो है, अनाथ
कहेंगे, परिवार बिन सब बेकार
गम भी लगता है, खुशगंवार
जिनका होता है, एक परिवार
खुशियां भी है, शूलों का हार
गर मिले, वो हमें बिना परिवार
वीराने में आ जाती है, बहार
यदि साथ है, आपका परिवार
जो छोड़ देते हैं, अपना परिवार
बनते वो जल बिन मीन पारावार