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VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Drama

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VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Drama

परिंदे

परिंदे

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परिंदे सभी घर वापिस आने को हैं

काली रात घना अंधेरा छाने को है।


जुगनू चांद से अब जगमगाने लगे हैं

मिलने मीत मेरा मुझको अब बुलाने को है।


सवेरा नया धूप नई खिल जाने को है

चिड़िया चहचहाने कोयल गुनगुनाने को है।


सनम मेरा जो खोया है मेरी बाहों में

थोड़ा घबराने फिर लौट जाने को है।


शयाम नशीली सूरज भी लाली लगाने को है

हवा भी मंद मंद शोर मचाने को है।


और बैठी थी उदास छत आँगन की कब से

उनके आ जाने से अब महक जाने को है।


जुगनू चाँद से फिर अब जगमगाने लगे हैं

मिलने मीत 'पंवार' तुझको फिर अब बुलाने को है।


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