प्रेम के संदर्भ
प्रेम के संदर्भ
मैं हकीकत उसे समझता रहा,
संग-दिल मेरे तुझे प्यार करता रहा
तूने तो मुझे फरेब का भले आईना दिखा दिया
मेरे नजर में बस तू ही बसता रहा
तेरी हर अदा के हम मुरीद हो गये
प्यार में तेरे दिल से अमीर हो गये
तूने भले मेरा जिक्र न किया
तेरा जिक्र दुनिया से मैं करता रहा
आके बैठा अभी-अभी अंजुमन में उनके
वाकिफ़ हुआ रंगत से अभी-अभी उनके
एक लफ्ज़ भी उन्होंने बयाँ न किया
अपनी कहानी बस मैं उनको बयां करता रहा
सुनते नहीं हैं कोई वो मेरी बात
शायद उनके दिल में नही हैं कोई जज्बात
कभी नहीं कहा कि मुझसे प्यार कर लो
बस 'हेमू' प्रेम के संदर्भ लिखता रहा