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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

पक्षियों के घोसले...!

पक्षियों के घोसले...!

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वो पगली जानती थी, 

कि उसके बिना, 

मर जाऊँगा.... 

मैं किसी भी, 

हद से, 

गुजर जाऊँगा.... 

ऐसे छोड़कर, 

जायेगी तनहा मुझे, 

फ़िर ना,

संभल पाऊँगा.... 

तिनका-तिनका, 

हर रोज, 

बिखर जाऊँगा.... 

बरसात कि पक्षियों, 

के घोसले कि तरह, 

उजड़ जाऊँगा.... 

मैं इतनी दूर, 

चला जाऊँगा, 

आवाज देती रह जायेगी वो, 

पर कभी वापस नहीं आऊंगा....

वो पगली जानती थी, 

कि उसके बिना, 

मर जाऊँगा....!



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