पीले फूल
पीले फूल
कुछ पत्तों हैं कुछ फूल हुए
कुछ फलों से मशहूर हुए
सब शाखों से लटके हैं
बाग़ ही में सब अटके हैं।
होड़ लगी है शाखों पर
ऊपर धुप किनारों पर
सब ऊपर जाना चाहते हैं।
सबसे ऊपर जो लटका है
अभिमान से कैसा फूला है
उसको कोई बात बता दे
पेड़ तले भी घास लगी है।
पीले फूलों की सेज सजी है
उनको कोई सरोकार नहीं
तुमसे कोई विवाद नहीं।
पर वो इतना जाने हैं
सब नीचे गिर ही जाएंगे
कुछ मिटटी में मिल जाएंगे।
सड़न की बदबू कैसी है
मौत की शक्लें कैसी हैं
उस राज के वो सानी है।
ऊपर लटके अभिमान जो मानो
ख़ुद जो अवतार तुम मानो
माली का है प्यार जो मानो।
नीचे गिर कर सब खो देते
बाज़ार में फिर बस लाशें ढोते
माली भी व्यापारी है
उसकी भी लाचारी है।
यहाँ है वो भगवान बना
बाज़ारों में लाचार बड़ा
तुम जैसे ही तोला जाता
रंग भेद से मोला जाता।
होना चाहो आज़ाद अगर तुम
बाग़ का छोड़ो साथ अगर तुम
अपना जीवन जी पाओगे
पीले फूलों से महकाओगे।
दुआ करो कि हाथ ना आओ
पीले फूलों में छुप जाओ
सड़ कर मिट्टी बन जाओ
फूल शायद फिर बन जाओ।।
