पड़ोसन के दर्शन नहीं हुए यार
पड़ोसन के दर्शन नहीं हुए यार
एक दिन हम चुपके से,
पड़ोसन के घर जा पहुँचे :
करने उनका जो दीदार,
पर हम तो आर रहे ना पार!
इतने में आ गईं श्रीमती जी,
उनका पारा चढ़ गया अपार :
समझ गए कि बस आज तो,
जमकर होगी उनसे तकरार!
झट से हाथ जोड़कर बोले
माफ कर दो मेरे सरकार!
श्रीमती जी थोड़ा मुस्कुराई
क्यूँ ऐसा करते हो बार बार!
तुम्हारी इसी आदत से तो
मैं हमेशा से रहती हूँ लाचार!
ज़रा सोचो, कोई क्या कहेगा
ज़ब ऐसी हरकत करोगे बार बार!
इस बार तो ये पेनल्टी कि
जल्दी निकालो बीस हज़ार!
हारकर हम क्या करते यार,
पड़ोसन के दर्शन नहीं हुए इस बार!