पछतावा
पछतावा
【पछतावा】
वो दो शब्द लिखने को बोले,
हम पूरी कविता गढ़ दिए।
वो निमंत्रण दिए आँगन आने का,
हम थे कि छत पर ही चढ़ दिए।।
अब वो पछताते हैं बुलाने पे,
हम इतराते हैं छत चढ़ जाने पे।
वो दुआ मांगते हमारे चले जाने का,
हम ख्वाब देखते वो बुलाएँ खाने पे।।
अब रब जाने उसकी दुआ कबूल होगी,
या ख्वाब हमारा हक्कीत बन जाएगा।
हम अब कभी लिखना न छोड़ पाएँगे,
अब देखें वो हमें छत से कैसे उतार पाएगा।।
भले उन्हें अब ग्लानि और पछतावा होगा,
पर बनी रहे ये ग्लानि भी और पछतावा भी।
वो हमें बार बार बोलें दो शब्द लिखने को,
मैं शब्द दरिया बहा दूँ बना रहे छलावा भी।।