पांच ऋतुएँ!
पांच ऋतुएँ!
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अगर ऋतुएँ चार नहीं
पांच होती तो किसी को
कुछ बताना नहीं पड़ता!
अगर ऋतुएँ चार नहीं
पांच होती तो किसी को
अलग से पढ़ाना नहीं पड़ता!
अगर ऋतुएँ चार नहीं
पांच होती तो कितना
अच्छा होता प्रकृति स्वयं
ही अपने कृत्यों से सबको
सब कुछ सिखला देती!
उस ऋतु में प्रकृति सिर्फ
और सिर्फ लाल लाल रंग
के ही पुष्प खिलाती!
जाड़ा गर्मी बरसात और
बसंत के साथ एक ऋतु
और होती जिसे हम सब
रजस्वला ऋतु ही कहते!
अगर ऋतुएँ चार नहीं
पांच होती तो किसी को
कुछ सिखाना नहीं पड़ता!