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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy Inspirational

पागल कौन

पागल कौन

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पागल कौन है

सही बोलता है

साफ बोलता है

वो पागल है


अच्छा कौन है

झूठ बोलता है

जल्दी बोलता है

वो अच्छा है

पागल कौन है


अपने हृदय में,

अपने दिमाग मे,

रखता नहीं गंदगी

वो पागल द्रोण है


वो आईना साफ़ है

जिसका अक्स साफ़ है

आज आईना कौन है

जिसका मन यहाँ पे

तम का तोंद है


ख़ुदा को पसंद कौन है

जिसका मन स्वच्छ है

सत्य सा जो मौन है

वो पागल नहीं ,

वो ख़ुदा के 

अंतर्मन का रोम है

वाकई में पागल कौन है


जो जानबूझकर,

अनजान बनता है

काम, क्रोध, ईर्ष्या,

मन मे रखता है

वो ही पागल कौम है



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