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Ratna Pandey

Drama Tragedy

5.0  

Ratna Pandey

Drama Tragedy

न्याय की देवी

न्याय की देवी

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ऐ भारत माँ, संभलना ज़रा

न्याय की देवी से कह देना


तराजू ठीक से पकड़े

और आँखें खोलकर देखे


ऐ भारत माँ संभलना ज़रा

लाखों करोड़ों बच्चे


तेरी गोद में हैं खेल रहे

तेरी बाँहों में हैं पल रहे


तुझे क्या डर सब साथ हैं तेरे

तुझे क्या फ़िक्र सब सपूत हैं तेरे


नहीं होने देंगे कभी

बाल भी बाँका तेरा


तेरी खातिर हम

ख़ून भी अपना बहा देंगे


नहीं कोई रावण

अपहरण कर सकेगा


हम हनुमान की सेना

बनकर आग लगा देंगे


तू जान है हमारी

हम सर्वस्व अपना मिटा देंगे


है तन भी तेरा, मन भी तेरा

तेरी गोदी का सूद चुका देंगे


है नहीं हिम्मत किसी में

कोई तुझ पर आँख उठा देखे


पर ऐ माँ, तू संभल जा ज़रा

क्योंकि हज़ारों विभीषण

तेरी कोख में है पल रहे


हम दुनिया से तो जीत ही जायेंगे

पर घर के भेदी से कैसे निभायेंगे


नहीं है शर्म उन्हें

जिस माँ की गोदी में हैं पल रहे


उसका ही दामन हैं नोच रहे

हाथ मिलाकर दुश्मन से वो

अपने भाइयों को ही मार रहे


कहीं है वर्दी मुश्किल में

पत्थरबाजों की है कहीं टोली


हर रोज़ खेलते हैं सिपाही

ख़ून की होली


कब तक सहेंगे हमारे सैनिक

पत्थरों की मार


एक ही झटके में कर सकते हैं

काम तमाम


पकड़कर खूनियों को

फिर क्यों खिलवाड़ होता है


छूटकर जेल से फिर

वो नागरिक आम होता है


लेकिन नीयत का वो खराब होता है

फ़िराक में दिन रात होता है


दिमाग में उसके खुराफात होता है

कर के क़त्लेआम हज़ारों का


वो फिर बेगुनाह होता है

न्याय की देवी तू संभल जा ज़रा


अपनी आँखों से पट्टी उतार तो ज़रा

तेरी आँखों के पीछे ये गुनाह होते हैं


नहीं डरते हैं देशद्रोही

अगर पकड़े गए तो


क्योंकि उनके पीछे

नारे लगाने वाले हज़ार होते हैं


खड़ी थी चुपचाप

वह तराज़ू हाथ में लेकर


सोच में थी क्या है

यहाँ पर मेरी हस्ती


बेबसी पर ख़ुद की

आँखों से उसकी


अश्रुधारा निकल पड़ी

आँखों पर पड़ी काली पट्टी


अब गीली हो चली

वह कुछ ना कर सकी

वह कुछ ना कर सकी


करती होगी प्रार्थना

भगवान से वह


कि हे प्रभु ,नहीं देता दिखाई मुझे

किन्तु सुनाई तो मुझे देता है


यदि हो कोई पट्टी

तो कानों को भी मेरे बंद कर दे


नहीं सुन सकती मैं वह चीखें

जो बेगुनाहों की होती हैं


छूट जाते हैं गुनहगार यहाँ

दौलत के दम पर


बेगुनाहों के नसीब में

यहाँ सिर्फ़ तारीख़ होती है


बेगुनाहों के नसीब में

यहाँ सिर्फ़ तारीख़ होती है।।



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