नवरात्रे
नवरात्रे
नवरात्रों में होती पूजा, मां का रूप निराला है,
जप व्रत विधान मिले, नाम जहां मतवाला है।
बच्चियों की होती पूजा,ऐसा भारत देश कहाए,
मां ममता की मूर्त होती,कष्ट में सदा संभाला है।।
विधान से घट सजता, गंगा से पवित्र करते हैं,
मां का रूप देख देखकर, दुष्ट, राक्षस डरते हैं।
कन्या में मां का रूप है,कहती दुनिया सारी है,
मां से मांगे मिलता सब, मन में भाव विचरते हैं।।
दरबार सजे मां का जब, दुख दर्द हो जाते दूर,
मंदिर दुर्गा सजे हुये, मां के चेहरे मिलता नूर।
तीन लोक की शक्ति है,मां के हाथ खडग़ सजे,
करे सवारी शेर की जब,दुष्ट गर्व हो चकनाचूर।।
भक्त उनकी शरण में आये,वांछित फल पाएगा,
कष्ट मिटे पल में सारे, जन-जन को हंसाएगा।
नौ दिनों तक व्रत करे तो, शुद्ध होता मन जन,
मां से प्रसन्न होकर भक्त, निज घर में बुलाएगा।।
बच्ची घर घर मिलती, होता है माता का रूप,
झुक जाते हैं शहनशाह, झुक जाते जन व भूप।
पूजा करके बच्ची की, मिट जाते हैं संताप सारे,
मां का अनोखा दरबार हो, निखरे रूप अनूप।।