नमन!
नमन!
वो गया तो, मन कहीं भटका था।
उसकी याद में अटका था।
पड़ गये सूने घर-आंगन थे।
कौए बोले हैं, अब प्रांगण में।
पनघट की रौनक भी चली गई।
कान्हा की वंशी फिर न बजी।
चबूतरे की मस्ती खत्म हुई।
जब गांव का बेटा सीमा पर गया।
हर दिल अब दुआ करता है,
मेरे बेटे, भाई का ख्याल रखना।
चौपाल पर सूनी बूढ़ी नज़रें,
राह थक-थक पथरा गईं।
हर फोन की घंटी पर,
उछले माँ का कलेजा।
काबू स्वयं पर रख, वो
फोन उठाए डर-डर कर।
हफ़्ते दस दिन में
बात हों, कुशल क्षेम पूछें।
माँ तो फिर माँ है,
पल पल बेटे को याद करें।
सरहद पर बेटा सब भुला,
सिर्फ और सिर्फ एक जवान बना।
मकसद जिसका देश की,
रक्षा करना, हर पल है।
जवान देश से प्रेम करें,
तैयार रहें कुर्बान होने के लिए।
देश को अखंड बनाने में,
कोई कसर न रहे बाकी।
सीमा पर जवान का,
देश ही परिवार है।
धड़कता दिल जिसके लिए,
पल में न्योछावर करें मन-प्राण।
हम तो रहे निश्चिंत घरों में,
कि सीमा पर तैनात सेना है।
हर जवान का करें आभार
कि हम देश में सुरक्षित हैं।
जब बारी आती है,
आमने-सामने की जंग की।
जान की बाजी लगाने की ,
जवान चिर तैयार है।
पल की न करें देर,
करें दुश्मन को वो ढेर।
न दिखाएं कभी वो पीठ
खाए गोली सीने पर।
जब गिरा वो धरती पर,
नमन करें वो भारत माँ को।
देश की माटी को चूमें वो,
पलकें अब मुंदने लगीं।
पलकों के झरोखों से,
दूर दिखें झलक माँ की।
परिवार की झलकी सी चलें,
हाथ जोड़, अब विदा ले वो।
तिरंगे में लिपटा वो,
पहुँचा अब अपने गांव।
हर ऑऺख नम है,
दिल भर आया है।
आज कलेजे का टुकड़ा,
घर वापस आया है।
शहादत को न भूलेगा देश,
ऐ अमर जवान तुझे नमन!
जय हिन्द! जय जवान!