नमी
नमी
तेरी हंसी में कुछ नमी सी आ गई है,
आंखो के कोरो से नमी आ गई है,
उलझा हूं इस बात पर,
कि क्या कहूं तुमसे,
लफ्ज़ ही नहीं बचे मुझसे,
की अभी भी उन आंखो में नमी सी है ,
रहते हैं बैचेन से जैसे कुछ कमी सी है,
हसरते कहा किसकी पूरी हुई है जनाब,
रो तो सब रहे हैं अपने अपने हिस्से से,
दिन गुजर जाता उनकी याद में,
रात भी यूं ही रहती हैं उनकी याद में,
कोई पूछे तो कहूं जिसका साथ चाहती थी वो साथ नहीं,
जिसको पास चाहती थी वो पास ही नहीं।