आज़ाद
आज़ाद
आज दोहराती हूं एक सवाल,
नहीं चाहिए समझौता या कोई और बवाल,
पूछती हूं एक सवाल,
क्या सच में हैं हम आजाद,
अगर यही है आजादी तो नहीं चाहिए,
नहीं चाहिए मनमानी,
क्यों अब मच रहा है हाहाकार,
मैंने पुछा ही है बस एक सवाल,
मार पड़ती गरीबों पर,
उनकी भुखमरी और लाचारी पर,
जब बढ़ रही बेरोजगारी दिन ब दिन,
कैसे हो रहे हैं ये हालात,
शिक्षा पर अब कौन करे विचार,
बढ़ती फीस और किताबों पर क्या नहीं बच्चों का अधिकार,
बोलो कौन करेगा इन पर विचार,
महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार,
उन पर होते बलात्कार ,
कहते सब उनके कपड़ों का दोष है,
लड़के तो सब सभ्य और ऊंचा समाज,
क्यों घूमने निकले ये आधी रात,
अब कहो क्या हम है आज़ाद,
घुट घुट कर जीते रहने को,
कौन कहता है ये है सब का अधिकार,
याद है मुझे उन बलिदानों को,
वीर भगत सिंह के अरमानों को,
याद है मुझे चंद्रशेखर, वीर शिवाजी ,
सलाम है जज्बातों को,
मत भूलना जो मैंने पुछा,
चुभते शूलों को जो है रौंदा,
याद रखना जो किए हैं मैंने सवाल,
फिर न मन में उठे तूफान,
आज दोहराती हूं एक सवाल।।
