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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

मैं और मेरे भैया।

मैं और मेरे भैया।

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हो जी अच्छे-अच्छे भैया मेरे,

सबसे प्यारे और न्यारे भैया मेरे।

तुम हो मेरे साथी मेरे रखवाले,

आकर मुझसे आप ये राखी बंधवाले।


तेरे साथ मैं हमेशा चलूँगी,

मेरे साथ तुम सदैव चलना।

तेरी रक्षा मैं दुर्गा बनकर करुँगी,

मेरी रक्षा तुम हुमायू बनकर करना।


राखी का है ना ये बंधन प्यारा,

इस बंधन को हमेशा बांधे रखना।

टूटे ना कभी ये रिश्तो का धागा,

मजबूत ऐसे हमेशा अपने इरादे रखना।


जब भी कभी मैं तुमसे रूठ जाऊं,

तो तुम मुझे पहले की तरह मनाने आना।

जब-जब मैं रुठ तुमसे जो जाऊं,

तुम मुझसे नाराज ना होना बल्कि मुझे हंसाना।


मेरे प्यारे-दुलारे भैया दूर ना मुझसे जाना,

चाहे हो जाये कुछ पर मुझसे राखी बंधवाना।


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